
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहे,
कुछ दुश्मनों से वैसी अदावत नहीं रही|
दुष्यंत कुमार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहे,
कुछ दुश्मनों से वैसी अदावत नहीं रही|
दुष्यंत कुमार