ख़ुद ज़हर-ए-तमन्ना की तरफ़!

हम भी अमृत के तलबगार रहे हैं लेकिन,
हाथ बढ़ जाते हैं ख़ुद ज़हर-ए-तमन्ना की तरफ़|

राही मासूम रज़ा

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