
बोझल नज़र आती हैं ब-ज़ाहिर मुझे लेकिन,
खुलती हैं बहुत दिल में उतर कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बोझल नज़र आती हैं ब-ज़ाहिर मुझे लेकिन,
खुलती हैं बहुत दिल में उतर कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी