
मैं संग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँ,
शायद मुझे देखेंगी पलट कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं संग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँ,
शायद मुझे देखेंगी पलट कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी