
फिर कौन भला दाद-ए-तबस्सुम उन्हें देगा,
रोएँगी बहुत मुझसे बिछड़ कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
फिर कौन भला दाद-ए-तबस्सुम उन्हें देगा,
रोएँगी बहुत मुझसे बिछड़ कर तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी