
अब तक मिरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अब तक मिरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तिरी आँखें|
मोहसिन नक़वी