
वो जो तुम्हारे हाथ से आकर निकल गया,
हम भी क़तील हैं उसी ख़ाना-ख़राब के|
आदिल मंसूरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो जो तुम्हारे हाथ से आकर निकल गया,
हम भी क़तील हैं उसी ख़ाना-ख़राब के|
आदिल मंसूरी