
किस तरह जम्अ’ कीजिए अब अपने आप को,
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के|
आदिल मंसूरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
किस तरह जम्अ’ कीजिए अब अपने आप को,
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के|
आदिल मंसूरी