वाक़िफ़ नहीं रस्म-ए-शहादत से!

नया बिस्मिल हूँ मैं वाक़िफ़ नहीं रस्म-ए-शहादत से,
बता दे तू ही ऐ ज़ालिम तड़पने की अदा क्या है|

चकबस्त बृज नारायण

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