स्त्री!

आज हिन्दी के एक वरिष्ठ कवि स्वर्गीय शलभ श्रीराम सिंह जी की एक कविता शेयर कर रहा हूँ| इस कविता में उन्होंने स्त्री को लेकर कुछ अलग प्रकार की अभिव्यक्ति की है|

लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय शलभ श्रीराम सिंह जी की यह कविता –

एक हँसी का नाम है स्त्री
स्त्री एक रुलाई का नाम है
एक खामोशी का नाम है स्त्री

स्त्री एक ख़बर का नाम है
एक नज़र का नाम है स्त्री
स्त्री एक लहर का नाम है।

एक चेतना का नाम है स्त्री
स्त्री एक घटना का नाम है
एक रचना का नाम है स्त्री।

स्त्री के भीतर
मुझे कभी कोई स्त्री नहीं दिखी
एक भी पंक्ति नहीं लिखी मैंने
स्त्री के ऊपर।


(आभार- एक बात मैं और बताना चाहूँगा कि अपनी ब्लॉग पोस्ट्स में मैं जो कविताएं, ग़ज़लें, शेर आदि शेयर करता हूँ उनको मैं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध ‘कविता कोश’ अथवा ‘Rekhta’ से लेता हूँ|)

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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