
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिझक गई|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिझक गई|
बशीर बद्र