शराब थी कहीं रास्ते में छलक गई!

तिरे हाथ से मेरे होंट तक वही इंतिज़ार की प्यास है,
मिरे नाम की जो शराब थी कहीं रास्ते में छलक गई|

बशीर बद्र

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