
अहद-ए-वफ़ा यारों से निभाएँ नाज़-ए-हरीफ़ाँ हँस के उठाएँ,
जब हमें अरमाँ तुमसे सिवा था अब हैं पशेमाँ तुम से ज़ियादा|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अहद-ए-वफ़ा यारों से निभाएँ नाज़-ए-हरीफ़ाँ हँस के उठाएँ,
जब हमें अरमाँ तुमसे सिवा था अब हैं पशेमाँ तुम से ज़ियादा|
मजरूह सुल्तानपुरी