
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की|
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की|
गुलज़ार