
कल फिर चाँद का ख़ंजर घोंप के सीने में,
रात ने मेरी जाँ लेने की कोशिश की|
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कल फिर चाँद का ख़ंजर घोंप के सीने में,
रात ने मेरी जाँ लेने की कोशिश की|
गुलज़ार