आओ खेलें सारी गलियाँ कहती थीं!

एक ये दिन जब सारी सड़कें रूठी रूठी लगती हैं,
एक वो दिन जब आओ खेलें सारी गलियाँ कहती थीं|

जावेद अख़्तर

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