
उठ उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गए,
दहशत-गरों के हाथ में इस्लाम रह गया|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उठ उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गए,
दहशत-गरों के हाथ में इस्लाम रह गया|
निदा फ़ाज़ली