शब-ए-फ़ुर्क़त मुझे क्या हो गया है!

समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है,
शब-ए-फ़ुर्क़त मुझे क्या हो गया है|

फ़िराक़ गोरखपुरी

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