चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम!

चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी,
शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी|

सुदर्शन फ़ाकिर

Leave a Reply