
उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने,
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने,
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर