
हमने उन तुंद-हवाओं में जलाए हैं चराग़,
जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हमने उन तुंद-हवाओं में जलाए हैं चराग़,
जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर