लुटती हुई देखी हैं बरातें अक्सर!

इश्क़ रहज़न न सही इश्क़ के हाथों फिर भी,
हमने लुटती हुई देखी हैं बरातें अक्सर|

जाँ निसार अख़्तर

Leave a Reply