
इश्क़ रहज़न न सही इश्क़ के हाथों फिर भी,
हमने लुटती हुई देखी हैं बरातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इश्क़ रहज़न न सही इश्क़ के हाथों फिर भी,
हमने लुटती हुई देखी हैं बरातें अक्सर|
जाँ निसार अख़्तर