
रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोके खाए है,
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए है॥
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोके खाए है,
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए है॥
क़तील शिफ़ाई