
सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको,
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको॥
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको,
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको॥
क़तील शिफ़ाई