
ज़मज़म और गंगा-जल पीकर कौन बचा है मरने से,
हम तो आँसू का ये अमृत पी के अमर हो जाएँगे|
राही मासूम रज़ा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ज़मज़म और गंगा-जल पीकर कौन बचा है मरने से,
हम तो आँसू का ये अमृत पी के अमर हो जाएँगे|
राही मासूम रज़ा