
दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई,
ख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है|
राही मासूम रज़ा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई,
ख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है|
राही मासूम रज़ा