
दुखों की झाड़ियाँ उगती चली गईं दिल में,
हर एक झाड़ी से जंगल घना निकल आया|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुखों की झाड़ियाँ उगती चली गईं दिल में,
हर एक झाड़ी से जंगल घना निकल आया|
राजेश रेड्डी