
कुछ आज अश्कों की लज़्ज़त नई नई सी है,
पुराने ग़म का नया ज़ाइक़ा निकल आया|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कुछ आज अश्कों की लज़्ज़त नई नई सी है,
पुराने ग़म का नया ज़ाइक़ा निकल आया|
राजेश रेड्डी