
इस क़दर हमसे झिझकने की ज़रूरत क्या है,
ज़िंदगी भर का है अब साथ क़रीब आ जाओ|
साहिर लुधियानवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इस क़दर हमसे झिझकने की ज़रूरत क्या है,
ज़िंदगी भर का है अब साथ क़रीब आ जाओ|
साहिर लुधियानवी