
रंज-ए-फ़िराक़-ए-यार में रुस्वा नहीं हुआ,
इतना मैं चुप हुआ कि तमाशा नहीं हुआ|
मुनीर नियाज़ी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रंज-ए-फ़िराक़-ए-यार में रुस्वा नहीं हुआ,
इतना मैं चुप हुआ कि तमाशा नहीं हुआ|
मुनीर नियाज़ी