चुप हुआ कि तमाशा नहीं हुआ!

रंज-ए-फ़िराक़-ए-यार में रुस्वा नहीं हुआ,
इतना मैं चुप हुआ कि तमाशा नहीं हुआ|

मुनीर नियाज़ी

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