
ज़िंदा लोगों की बूद-ओ-बाश में हैं,
मुर्दा लोगों की आदतें बाक़ी|
मुनीर नियाज़ी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ज़िंदा लोगों की बूद-ओ-बाश में हैं,
मुर्दा लोगों की आदतें बाक़ी|
मुनीर नियाज़ी