
ऐ दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ है,
तू हल्क़ा-ए-याराँ में भी मोहतात* रहा कर|
*मोहित
मोहसिन नक़वी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ऐ दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ है,
तू हल्क़ा-ए-याराँ में भी मोहतात* रहा कर|
*मोहित
मोहसिन नक़वी