
महबस में कुछ हब्स है और ज़ंजीर का आहन चुभता है,
फिर सोचो हाँ फिर सोचो हाँ फिर सोचो ख़ामोश रहो|
इब्न ए इंशा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
महबस में कुछ हब्स है और ज़ंजीर का आहन चुभता है,
फिर सोचो हाँ फिर सोचो हाँ फिर सोचो ख़ामोश रहो|
इब्न ए इंशा