
सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उसने ये इरशाद किया,
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया|
जोश मलीहाबादी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उसने ये इरशाद किया,
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया|
जोश मलीहाबादी