
इतना मानूस हूँ फ़ितरत से कली जब चटकी,
झुक के मैंने ये कहा मुझसे कुछ इरशाद किया|
जोश मलीहाबादी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इतना मानूस हूँ फ़ितरत से कली जब चटकी,
झुक के मैंने ये कहा मुझसे कुछ इरशाद किया|
जोश मलीहाबादी