
टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती,
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती,
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़