वो याद भी कम आते हैं!

और कुछ देर न गुज़रे शब-ए-फ़ुर्क़त से कहो,
दिल भी कम दुखता है वो याद भी कम आते हैं|

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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