
सबा फिर हमें पूछती फिर रही है,
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सबा फिर हमें पूछती फिर रही है,
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़