
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया,
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया|
परवीन शाकिर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया,
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया|
परवीन शाकिर