
मुद्दतों बा’द उसने आज मुझसे कोई गिला किया,
मंसब-ए-दिलबरी पे क्या मुझको बहाल कर दिया|
परवीन शाकिर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुद्दतों बा’द उसने आज मुझसे कोई गिला किया,
मंसब-ए-दिलबरी पे क्या मुझको बहाल कर दिया|
परवीन शाकिर