पेड़ कटते वक़्त!

आज एक बार फिर मैं हिन्दी के सृजनधर्मी नवगीतकार श्री बुदधिनाथ मिश्र जी  की एक रचना शेयर कर रहा हूँ| श्री बुदधिनाथ जी की कुछ रचनाएं मैंने पहले भी शेयर की हैं|   

लीजिए अब प्रस्तुत है श्री बुदधिनाथ मिश्र जी का यह सुंदर नवगीत –

शब्द मुझसे पूछ बैठा आज

तुम मेरी कीमत समझते हो ?

बूझते हो क्या मेरी आवाज़ ?

शब्द मुझसे पूछ बैठा आज ।


पेड़ कटते वक़्त होता मैं नहीं

होते वहाँ पर यंत्रणा-आक्रोश

होती चीख

तुम हवा से मांगते मुझको

कि जैसे मांगता कोई गुदड़िया

चीथड़ों की भीख

मंत्र या अपशब्द मुझसे

किस तरह बनते

जानते हो राज ?

शब्द मुझसे पूछ बैठा आज ।


मैं नगीने-सा कभी जड़ता

अंगूठी में

और चिड़िया बन कभी

सेती मुझे कविता

मैं तराशा जब गया

कोई बना विग्रह

शेष के मस्तक चमकता नित्य

फण-मणि-सा

मैं उठा तो लघु हुई आकाशगंगाएँ

पर गिरा तो क्यों हुआ मैं गाज ?

शब्द मुझसे पूछ बैठा आज ।

 (आभार- एक बात मैं और बताना चाहूँगा कि अपनी ब्लॉग पोस्ट्स में मैं जो कविताएं, ग़ज़लें, शेर आदि शेयर करता हूँ उनको मैं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध ‘कविता कोश’ अथवा ‘Rekhta’ से लेता हूँ|)

आज के लिए इतना ही,

नमस्कार| 

                            ********  

Leave a Reply