फूलों को किताबों में न रक्खे कोई!

मैं तो उस दिन से हिरासाँ हूँ कि जब हुक्म मिले,
ख़ुश्क फूलों को किताबों में न रक्खे कोई|

परवीन शाकिर

Leave a Reply