
हैं ताक में शिकारी निशाना हैं बस्तियाँ,
आलम तमाम चंद मचानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हैं ताक में शिकारी निशाना हैं बस्तियाँ,
आलम तमाम चंद मचानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली