
जब तक था आसमान में सूरज सभी का था,
फिर यूँ हुआ वो चंद मकानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जब तक था आसमान में सूरज सभी का था,
फिर यूँ हुआ वो चंद मकानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली