
इक इश्क़ नाम का जो परिंदा ख़ला में था,
उतरा जो शहर में तो दुकानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इक इश्क़ नाम का जो परिंदा ख़ला में था,
उतरा जो शहर में तो दुकानों में बट गया|
निदा फ़ाज़ली