
वो सितम-केश बहर-ए-हाल सितम-केश रहे,
दर्द सोया भी नहीं था कि जगाने निकले|
रज़ा अमरोहवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो सितम-केश बहर-ए-हाल सितम-केश रहे,
दर्द सोया भी नहीं था कि जगाने निकले|
रज़ा अमरोहवी
Lovely
Thanks a lot ji