
वो मुफ़्लिसी के दिन भी गुज़ारे हैं मैंने जब,
चूल्हे से ख़ाली हाथ तवा भी उतर गया|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो मुफ़्लिसी के दिन भी गुज़ारे हैं मैंने जब,
चूल्हे से ख़ाली हाथ तवा भी उतर गया|
मुनव्वर राना