
हमीं हैं गुल हमीं बुलबुल हमीं हवा-ए-चमन,
‘फ़िराक़’ ख़्वाब ये देखा है क़ैद-ख़ाने में|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हमीं हैं गुल हमीं बुलबुल हमीं हवा-ए-चमन,
‘फ़िराक़’ ख़्वाब ये देखा है क़ैद-ख़ाने में|
फ़िराक़ गोरखपुरी