कोई लहर आ के मिटा न दे!

ज़रा देख चाँद की पत्तियों ने बिखर बिखर के तमाम शब,
तिरा नाम लिक्खा है रेत पर कोई लहर आ के मिटा न दे|

बशीर बद्र

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