
भूल कर अपना ज़माना ये ज़माने वाले,
आज के प्यार को मायूब* समझते होंगे|
*ग़लत
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
भूल कर अपना ज़माना ये ज़माने वाले,
आज के प्यार को मायूब* समझते होंगे|
*ग़लत
बशीर बद्र